आप (की) होली तो शुरू होली


आप लोग आपस में लड़ रहे हैं । पानी बिजली सस्ती करने के बाद वे यही कर सकते थे । वे वास्तव में लड़ नहीं रहे बस लड़ने झगड़ने वाली तलवार पर धार रख रहे हैं । निरर्थक  पड़ी अपनी तलवारों को जंग खाने से बचाने की कोशिश कर रहे हैं । छाया युद्ध का अपना पिंगल शास्त्र  होता है उसकी ताकत का पुनर्पाठ कर रहे हैं । उनके सामने कोई विपक्ष नहीं है । इसलिए अपने में से सशक्त विपक्षी तलाश रहे हैं । बिना धरना प्रदर्शन वाली जिंदगी उन्हें रास नहीं आ रही । जंतरमंतर की याद सता रही है । आप बंदर बाँट के लिए उपयुक्त बिल्लियों की तलाश में है ।
आप में आजकल छीनाझपटी मची है । सभी उजली कमीज़ वालों में अपनी कमीज को अधिक साफ़ और चमकदार दिखलाने और बताने की मारक होड़ मची है ।  उम्मीद से अधिक मिल जाये तो टंटा खड़ा हो ही जाता  है । अधिक खुशी से अपच हो जाती है । यकायक उड़ने के लिए खुला आसमान मिल जाये तो पंख कुछ अभूतपूर्व करने के लिए उतावले हो जाते हैं । संयुक्त परिवार में रह रही बहु को पति के साथ अकेले रहने का मौक मिले तो वह चिडचिडी सास ,टोकाटाकी करने वाली ननद और उलहाने देने में निपुण जेठानी को  मिस करने लगती है । इसी मिसिंग के चलते वह यत्र तत्र सर्वत्र इन किरदारों को ढूँढने लगती है और अन्तोत्गत्वा उनका सुराग पति में पा लेती है ।
आप के पास अब दीवार फिल्म वाले गैगेस्टर की तरह सब कुछ है । जनाधार है ,वाहवाही करते लोग हैं ,आत्मप्रशंसा में बजते हुए ढोल हैं ,गोलमटोल नीति है ,अपनी धुरी पर निरंतर घूमती रिवाल्विंग चेयर हैं और है एक न एक दिन चक्रवर्ती सम्राट बनने का सपना । बस करने लायक शायद  कुछ नहीं बचा है । निठल्लापन आदमी को किस कदर महत्वाकांक्षी बना देता है ।
आपने इतिहास तो रचा है लेकिन उसके  पास इतिहासबोध नहीं है । उसके पास सिर्फ मनभेद से भरापूरा वर्तमान है । एक दूसरे की टांग लगातार खींचते रहने का अदभुत कौशल है।  किसी न किसी को अपदस्थ करते रहने की रणनीति है । प्रहसन रचने का चातुर्य है । चर्चा में बने रहने का सामर्थ्य है । सोशल मीडिया पर छाये रहने की तकनीक है । आम से खास बन जाने के बावजूद आम बने रहने की जिद है ।
आपने राजनीतिक शब्दों के मायने बदल दिए हैं । घुन्नापन मासूमियत में तब्दील हो गया है । घर के भेदिये पार्टी का थिंकटैंक बन गए हैं । दीवाने टाइप लोग पार्टी प्रवक्ता बन लिए हैं । पार्टी की चाल ,चेहरा और चरित्र बदल गया है । आप अब आम न रह कर खास हो चली है । कल तक कैटिल क्लास में शुमार होने वाले अलफांसों स्तर के मैंगो पीपुल हो गए हैं । वक्त बदला है तो इनकी भाषाई समझ भी बदल गई है ।
आप सत्ता में क्या आई पूरी राजधानी वाईफाई हो गई । पार्टी के मन्तव्य हाईफाई हो गए । गर्दनें गुरूर से ऐंठने लगीं । टोपियों की सफेदी सरकार का प्रभामंडल हो गई । ओवरसाइज टोपी सिर पर धारण होते ही वीवीआईपी का पहचान पत्र बन गई । टोपी में धरी सुख सुविधाओं को पाने के लिए टोपी वाले आपस में भिड गए ।
ध्यान रहे ,आप(का) यह पारस्परिक द्वंद्व  नहीं है यह असल लड़ाई का फुलड्रेस रिहर्सल है । मुख्य टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले होने वाला वो अभ्यास मैच है ,जिसमें हार जीत अर्थहीन होती है । इसे अधिक से अधिक नूरा कुश्ती कहा जा सकता है जिसमें पहलवानों से लेकर रेफरी तक की मिलीभगत होती है ।
यह आप (की) होली के हुडदंग का  पूर्वाभ्यास है । उनकी तो होली वक्त से पहले शुरू ‘होली’ है ।

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