उनके खुश हो जाने का मतलब
उन्होंने कहा कि वह पार्टी द्वारा दिए जा रहे समर्थन से खुश होने से भी अधिक खुश हैं l वह खुश हुए तो मानो कायनात खिलखिला उठी l उससे भी अधिक बात यह कि वह बोल उठे तो मानो काली शिलाओं ने अपने सनातन मौन से बाहर आकर वाचाल होना तय किया l अब काजल की कोठरी से बेदाग निकल आने का काला जादू देखने दिखाने की रुत आई है l बड़े दिनों के बाद नेताओं को कदमताल करने का मौका मिला है l बयानवीरों को अपना मुहँ खोलने और पंख तौलने का अवसर प्राप्त हुआ है l छाज जब मौन तोड़ता है तो छलनियों को बोलने और फटकन बटोरने का मौका मिल जाता हैl
वह खुश हैं कि पूरी पार्टी उनके पीछे खड़ी है l आलाकमान उनके पीछे नहीं पड़ा ,उनके साथ अड़ा है l सभी अपने अपने हाथ खड़े करके पूरे मुल्क को हाथों की सफाई दिखा रहे हैं l वे कह रहे हैं ,देखो देखो हमारे हाथों में कालिख को कोई निशान नहीं है l समस्त कालिमा को हमने चुनावी पराजयों के बाद मंथन चिंतन जैसे डिटरजेंट से धो डाला है l पार्टी के एक बड़े नेता तो उच्च स्तरीय साबुन की तलाश में विदेश यात्रा पर निकले हुए हैं l
पार्टी को बिन मांगे मौका मिल गया है l क्रिकेट वर्ड कप की तर्ज पर मौका ...मौका .....मौका की धुन बजती हुई सुनाई दे रही है l मैच में हार जीत कोई रहा है और उसके जरिये मौका किसी अन्य को मिल रहा है l पार्टी की करिश्माई हींग बिक चुकी है लेकिन रीती डिब्बी महक रही है l यह अवसर की नज़ाकत को भांप कर उसे सूंघने और सुंघाने का समय है l
यह सही है कि मौन रहना बड़ी बात होती है l वही नेता अन्तोत्ग्त्वा अव्वल दर्जे के नेता बनते हैं जो हर महत्वपूर्ण मसले पर चुप्पी साध लेते हैं l वही मालिक और मालिकन सबका दिल जीतते हैं जो कारिंदों की प्रत्येक नादानी पर मुहँ फेर कर अनजान बने रहते है l वही कद्दावर नेता माने जाते हैं जो बौनी नस्ल के राजसी पौधों को बटवृक्ष मान लेते हैं lवही चुप्पियाँ बेशकीमती होती हैं , जिनके टूटने से तहलका मचने की संभावना मौजूद रहती है l सब जानते हैं कि मौन पटाखे के भीगा हुआ पलीता होता है ,जिसमें कभी भी धमाका कर देने की आशंका मौजूद रहती है l
वह कह रहे है कि वह खुश होने से भी अधिक खुश हैं l यह कोई सीधा सादा बयान नहीं है l इसके मतलब का अनुमान लगाने के लिए खुशी के गूढ़ अर्थ के अथाह समन्दर में गहरे तक उतरना होगा l खुशी कभी एकांगी नहीं होती l यह कभी बेवजह नहीं होती l इसकी अपनी कूटनीति होती है l इसका अलग अर्थशास्त्र और स्वायत्त सत्ता होती है l खुशी के इजहार भर से बड़े बड़े काम हो जाते हैं l इसके अलावा खुश होने और दिखने में फर्क होता है l उससे भी अधिक ,खुश होने का खुलासा करने के अलग मतलब होता है l अनेक लोग खुश हो भी जाते हैं ,उनके मन में खुशी के मोतीचूर के लड्डू फूटते रहते हैं लेकिन वे इसकी भनक किसी को नहीं मिलने देते l कभी कभी ऐसा भी देखने में आया है कि मातमी चेहरे वालों के पास खुशी का विपुल भंडार पाया जाता है l
वह बहुत खुश हैं तो यकीनन वह खुश ही होंगे l उनकी खुशी मोगोम्बो वाली खुशी है या किसी अन्य प्रकार की खुशी ,कौन जाने l सपाट चेहरे वाले मौन साधकों के मंतव्य जरा देर से समझ में आते हैं l
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें