फ़ाइल के पन्नों का गुम होना


एक सरकार होती है  lउसके पास फाईलों का अम्बार होता है  l एक जाँच एजेंसी होती है  lउसके पास पड़ताल का अधिकार होता है l फाइलों में तरह तरह की टीप होती हैं  l आदेश होते हैं  l निर्देशों का  अनवरत क्रम होता है  lइनके ही सहारे सरकार की हनक का प्रदर्शन होता है  lकहा जाता  है कि  सरकार की फाइलों के आसपास सभी आकार प्रकार के चूहे मटरगश्ती करते हैं  lहालाँकि ये चूहे सरकरी तन्त्र का हिस्सा नहीं होते  lफिर भी ये अपने हिस्से की फाइलों में से दर्ज सूचनाओं को कुतर कुतर कर खा लेते हैं  l ये चूहे बड़े चूज़ी होते हैं  l बहुत देख परख कर ही परम गोपनीय या महत्वपूर्ण जानकारियों को उदरस्थ करते हैं  l
ये फाइलें बड़े काम की होती हैं  lइनके जरिये ही सरकार चलती है  lये न हों तो सरकार का चलना तो क्या घिसटना ही दूभर हो जाये  lइन्हीं फाइलों से निकल कर बेपर की अफवाहें उड़ती हैं  lइनसे ही सनसनीखेज़ रहस्योद्घाटन का मार्ग प्रशस्त होता है  l मौका मिलने पर इनसे देशव्यापी चर्चाओं का माहौल बनता है  lचर्चा के चरखे पर बतकही की कपास कतती है   l इस कपास से ही इत्र में सराबोर रुई के फाहे बनते हैं जिनसे वातावरण महकता है  lइन फाइलों के ताप पर नेता और नौकरशाह हाथ तापते  हैं  l
एक सरकार जाती है दूसरी आ जाती है  lकारिंदे तबादला या सेवानिवृति होने पर इधर से उधर हो जाते हैं  lपर फाइलें बरक़रार रहती हैं lकहा तो ये जाता है कि फाइलें कालजयी होती हैं  lयदि किसी कार्यालय पर हाइड्रोजन बम भी गिर जाये तो भी वहां रहने वाले तिलचट्टे और फाइलें जिन्दा रहते  हैं  lयह अलग बात है कि कभी कभी फाइलों से निकल कर कुछ पृष्ठ गायब हो जाते हैं lवे घोटाला करने वालों के हाथ में चना जोर गरम वाला ठोंगा बन कर पहुँच जाते हैं lफ़ाइल के पन्ने जब ठोंगा बनते हैं तो ठगी हुई जानता को ठेंगा दिखाते हैं  lफ़ाइल के कुछ पन्ने ऐसे भी होते हैं जब वह ठंडे बस्ते से निकल कनकौए बन खुले नभ में उड़ान भरते हैं तब उनकी धज देखते ही बनती है l तभी पता चलता है कि सरकारी फाइलों के कुछ पेज ऐसे होते हैं जिन्हें बाँध कर रखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है  l
अब खबर यह है कि एक वीआईपी लैंड डील के दो पन्ने फरार हो गए हैं   lवे वास्तव में गए कहीं नहीं हैं सिर्फ गलत जगह से उठकर सही हाथों में पहुँच गए हैं  lवे सरकारी फ़ाइल की डाल से उड़कर  परिंदे की तरह  किसी बागवान के निजी हरेभरे छायादार दरख्त पर जा विराजे हैं  lवे निजी एवम सरकारी सहकार के फार्मूले की तहत देशाटन के लिए निकल गए  हैं  l
फाइलों कभी गायब नहीं होती ,उनके नदारद होने की प्रतीति होती है  l वे किसी नटखट बच्चे की तरह किसी चीज की आड़ में छिप जाती हैं और फिर ढूंढें जाने पर मिल  जाती हैं  l बस उनका  चाल ,चेहरा और चरित्र बदल जाता  है  l उनमें दर्ज सूचनाएँ जस की तस रहती हैं केवल उनकी व्याख्यायें  बदल जाती हैं  lवक्त बदल जाता है पर फाईलों के रंगढंग नहीं बदलते  l उनके पन्ने स्थिति को भांप कर चहलकदमी कर लिया करते  हैं  lद्रव्य की अविनाशिता का नियम भी यही कहता है  lइस दुनिया में कुछ भी विनिष्ट नहीं होता बस उसका रंग रूप बदल जाता है  l
चर्चित लैंडडील के खोये हुए पन्ने भी गुमशुदा  समाजवादी भैंस या परम्परावादी कटहल की तरह एक न एक दिन खुद-ब-खुद मिल जायेंगे l


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