बच्चे अब बच्चे नहीं रहे

 


बच्चे पैदा होते हैं क्योंकि उन्हें बकायदा पैदा किया जाता है lकोई कहता है कि वे सिर्फ ईश्वरीय अनुकम्पा से अवतरित होते हैं lहमारे मुल्क पर भगवान की इस मामले में विशेष कृपा रही है lयही वजह है कि हम देखते ही देखते सवा अरब हो गए हैं lयह किरपा कुछ बरस और चली तो हम आबादी के मामले में चीन को हरा देंगे lचीन अपनी इस हार में जीत देख रहा है lकेवल देख ही नहीं रहा वरन हमारे देश में अधिकाधिक अपना माल खपाने की योजना बना रहा है lवह बच्चों के निरर्थक प्रोडक्शन में यकीन नहीं रखता lवह एक कारोबारी मुल्क है जो सिर्फ उसी सामान का उत्पादन और निर्यात करता है जो विदेशी बाज़ारों में खप जाये lनवजात शिशु बड़े नटखट  होते  हैं इसलिए उनके निर्यात में बड़ा जोखिम है l
यह भी कहा जाता है कि हर बच्चा अपना मुकद्दर लेकर पैदा होता है lयानि उसके भविष्य के लिए किसी प्रयास या प्लानिंग की कोई आवश्यकता नहीं होती lउसके भविष्य की रूपरेखा ‘इनबिल्ट’ होती है lकिसी भी कौम की तरक्की बच्चों की अधिक संख्या पर निर्भर करती है उनकी परवरिश की गुणवत्ता पर नहीं lवे ऊपर वाले की मर्जी और दाई के साझा प्रयास से आते हैं lवे पैदा नहीं अवतरित होते हैं l
बच्चे एकदम मासूम पैदा होते हैं l वह जब मिचमिचाते हुई आँखों से इस दुनिया का दीदार करते हैं तो सौ प्रतिशत सेक्युलर होते हैं lउन्हें तो बाद में धर्म और मजहब का चोला ओढ़ाया जाता है lउन्हें बड़े प्यार और दुलार के साथ हिंसक होने के फायदे का कायदा सिखाया  जाता  हैं lउन्हें अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप जीने और मरने का सबक रटाया जाता है lवे बड़े होकर दुनिया भर की फैक्ट्रियों और धन्ना सेठों के घरों की आवश्यकता के अनुरूप सस्ते और सुलभ कामगार बनाये जाते हैं lउनमें से कुछ को निर्यात करने योग्य बनाया जाता है ताकि मुनाफे के सारे धंधे  अबाध चलते  रहें  lवे कौम की अस्मिता की रक्षा के लिए जुझारू लड़ाका बनते हैं lवे बड़े काम के होते हैं lकिसी मशीन की तरह लेकिन उससे बेहतर काम करते हैं lवे सिर्फ  दो टाइम रोटी के सपने देखते हैं lउनके सपने जैसे तैसे जिन्दा रहने के  होते हैं lउनकी ख्वाईश कभी रोटी की परिधि का अतिक्रमण नहीं करती l बच्चे अब बच्चे नहीं उत्पाद हो गए हैं l
अब बच्चे राजनीति का उपक्रम बन गए हैं और उनकी माएं उन्हें उत्पादित करने का कुटीर  उद्योग lउनसे कहा जा रहा है कि बच्चों के उत्पादन में तेजी लाओ lबच्चे पर बच्चे पैदा करके उनकी कतार लगा दो  lअपना परलोक सुधारो और बच्चों को इहलोक में जल्द से जल्द भेजो lएक या दो से काम नहीं चलने वाला दर्जन दो दर्जन से कम में काम नहीं चलने वाला l
 घर आंगन बच्चों से भरा रहे ,इसके लिए सतत प्रयास जरूरी है lइस दुनिया को बच्चों की किलकारी और चीत्कार की महती आवश्यकता है lसंख्या का अपना बल होता है lयह संख्या मेधा को हरा सकती है lधर्म के स्तम्भ को मजबूती दे सकती है lसंख्या को बुद्धिमत्ता से नहीं केवल संख्या बल से ही  हराया या जीता जा सकता है lदुनिया को बच्चों का उत्पादन बढ़ा कर ही अपनी मुट्ठी में थामने का ख्वाब देखा जा सकता है l
बच्चों आओ ,जल्दी आओ ! भूख और गरीबी से बजबजाती इस दुनिया को अनीति ,कुरीति , अन्धविश्वास ,अशिक्षा और मतांधता बनाये रखने के लिए बड़ी शिद्दत से तुम्हारा इंतज़ार है l




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