डिजिटल इंडिया में रामखिलावन

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वक्त के थपेड़ों ने रामखिलावन की आत्ममुग्धता पर सवालिया निशान लटका दिया है । ब्यूटी सैलून वाले ने साफ़ कह दिया है कि उसके पास ऐसी कोई फेसक्रीम, ब्लीच, लोशन या तकनीक नहीं कि वह उसे पहले जैसा नूर लौटा सके । कॉस्मेटिक सर्जन ने भी यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं कि वह उसे दर्शनीय बनाने के लिए चाहे जितनी कोशिश कर ले, पर उससे कुछ हो पायेगा इसमें संदेह है । इस फैशनपरस्त युग में वह इस मामले में कोई गारंटी देने का जोखिम नहीं उठा सकता । उसे समझ आ रहा है कि उम्र के हाट से होकर गुजरा समय लौट कर नहीं आता । अतीत की कोई रिटर्न पॉलिसी नहीं होती ।
रामखिलावन धीरे धीरे अवसाद की गहरी खाई में उतरता जा रहा था । दर्पण उसे डराने लगा है । उसे यकीन नहीं हो रहा कि तेजी से बदलते जीवन मूल्यों के बीच दर्पण ने सच को झुठलाना अभी तक नहीं सीखा है । वह सच बोलने की युगों पुरानी डाउनमार्केट जिद पर क्यों अड़ा है ? तिस पर तुर्रा यह कि लड़कियां तो लड़कियां उनकी मम्मियों ने भी उसे अंकल कहना शुरू कर दिया है । ये जो अंकल का विशेषण है, उसने केशव से लेकर अमीर खुसरो तक सभी को अपने ज़माने में बहुत बेचैन किया है । अब परेशान होने की बारी रामखिलावन की है ।
रामखिलावन उन्नत तकनीक के इस समय में हार मानने को तैयार नहीं । उसने अपने लैपटॉप में गूगल सर्च पर जाकर ओल्डएज रेमिडी, मैडिसिन, योग ,आयुर्वद ,एंटीआक्सीडेंट, एंटीअंकल डिवाइस जैसे कीवर्ड डाल कर गहन रिसर्च की ।और जब नतीजे आये तो वह चौंक गया ।तमाम ऑनलाइन शापिंग पोर्टल पर बुढ़ापे को जड़मूल से गायब करने की तकनीक व उपकरण उसे मिले । वह समझ गया कि डिजिटल दुनिया में सब कुछ मिलता है जिंदादिली के साथ मरने और कलात्मक तजवीज़ से लेकर शताब्दियों तक जवान बने रहने के उपचार तक ।यहाँ पर सपने घटी दरों से लेकर बेहद ऊँची कीमत पर कैश ऑन डिलीवरी के आधार पर बिकने के लिए रखे हैं ।यहाँ क्रांति करने के नुस्खे भी बिकते हैं और पूंजीवादी अवधारणा के हितार्थ कुटिल मुखौटे भी ।जिसकी जेब या क्रेडिट कार्ड में जितना हो दम, वह उसके अनुरूप अपने लिए झूठे आश्वासन या असरदार रसायन या फिर दिल को बहलाने वाले ग़ालिब के ख्याल , जो चाहे खरीद ले । अनेक उपकरण व रसायन ऐसे भी बिक्री के लिए हैं जिनके साथ ‘बाय वन गेट वन’ की तर्ज पर संताबंता टाइप चुटकलों की किताब मुफ्त मिलती है ।
रामखिलावन जब गूगल पर धूनी रमाने के बाद बाहर आया तो वह परम ज्ञान को प्राप्त हो चुका था ।अब प्रज्ञावान बनना है तो गूगल की शरण में जाना ही होता है ।समस्त परमसंत वहाँ समय–असमय आवाजाही करते रहते हैं ।उसने जान लिया था कि काल चक्र की गति को यदि अपने अनुकूल बनाना है तो डिजिटली डिजटल हो जाओ ।सच को परास्त करना है तो फरेब का ऐसा डिजिटल मेकअप करो कि वह सत्य से अधिक कांतिमय हो जाये । कम्प्यूटर के फोटोशॉप पर जाकर अपने लिए मनोवांछित प्रभामंडल बना लो ।बेहतरीन डायलाग डिलीवरी की माइक्रोचिप अपने भीतर प्रत्यारोपित करवा कर रातों रात लाखों करोड़ों दिलों की धड़कन बन जाओ ।
रामखिलावन ने तय किया है कि वह अब पहले वाला निरा निरीह अंकल बन कर नहीं रहेगा । वह अपनी आगे की जिंदगी को डिजिटल होने के गौरव के साथ ‘वाई -फाई ‘ होकर जियेगा । डिजिटल इंडिया में वह खूब फबेगा।

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