डान और उम्मीद एक
जिंदा लफ्ज़ हैं !
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डान सो रहा है। यह खबर कन्फर्म है। पर यह अधिकारिक नहीं है। क्योंकि
उसकी नींद उसके होने का दस्तावेजी सबूत
नहीं है। वह अनिद्रा का रोगी नहीं। इस बात को उसकी बीवी ने फोन पर बताया है। वह
डान की ब्याहता पत्नी है। डान की पत्नी अकसर अपने खाबिंद के मामले में बोदे झूठ
नहीं बोला करती। वे मिडिलचियों की पत्नियों जैसे डाउनमार्केट झूठ नहीं बोलतीं।
उनके पास करने लायक इससे बड़े अनेक काम होते हैं। मसलन बुर्ज खलीफा के नए खरीदे गए फ्लैटों की
चाभियों के गुच्छे को कमर में लटकाने के लिए रत्नजडित
कमरबंद खरीदने का। आईएसआई चीफ जैसे लोगों की बीवियों के बर्थडे और मैरिज एनिवर्सरी की तारीखें याद रख कर
उन्हें दिली मुबारकबाद देने और बेशकीमती गिफ्ट भिजवाने का। डान के दुनिया भर में
फैले ‘कनेक्शनों’ का मोबाइल नम्बर याद रखने का ताकि उन्हें जब धमकाने की जरूरत पड़े
तो वह उसे अपने पति को बता सके।
डान को जब विभिन्न
मुल्कों की पुलिस खोजती है तब वह चैन से नींद का लुत्फ़ लेता है। जब गोपीचंद जासूस
उसे तलाशते हुए खुद सो जाते हैं, तब वह जागता है। स्नान ध्यान के बाद अपनी बीवी के
हाथ के बने मिस्से आटे के परांठे खाता है और हींग जीरे के छोंक वाली छाछ ठाठ से
पीता है। वह खा पीकर डकार भी लेता है। गुप्तचरों ने उसके डकार की ऑडियों रिकार्डिंग की
है। डकार किसी के होने का पुख्ता सबूत और भलाचंगा होने की पहचान होती है। इससे
उसके कहीं न कहीं होने की पुष्टि होती है।
यह बात एकदम पक्की
है कि डान है। वह जिंदा है। उसके जीता जागता होने का सबूत है कि वह बाकायदा नाश्ता
करता है। जानकार सूत्रों की मानें तो वह चौके में टाट की बोरी पर आलथी पालथी मारकर
बैठता है। नाश्ता कर लेने के बाद वह वहीँ प्लेट में गिलास के पानी से हाथ धोता है
और बीवी के पल्लू से हाथ पोंछता है। वह बड़ा घरेलू किस्म का आदमी है। दुनिया के लिए वह भले डान हो लेकिन अपनी पत्नी
के लिये तो निरा निरीह पति है।
डान वाकई डान है। उसे पकड़ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। दो
मुल्कों के बीच वह उच्चस्तरीय वार्ता शुरू और खत्म करने का कारक और सबसे बड़ी
उम्मीद है।
उम्मीद और डान ,दो
मुल्कों के राजनय के लिए जिंदा लफ्ज़ हैं ।
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