गरमी का है व्याकरण और तपती हुई दलील

यह यकीनन सूचना
प्रधान समय है।नेताओं की स्कूली मार्कशीट से लेकर उनके पालतू कुत्तों को खिलाये
जाने वाले बिस्कुटों की एमआरपी पर तमाम
सवाल उठाये जा रहे हैं।लगता यही है कि इसी तरह के मूलभूत प्रश्नों के जरिये
जनक्रांति का बिरवा बिना उचित खाद, प्रकाश और पानी के पनपेगा।आइपीएल-9 में लगने वाले चौके छक्कों के
जरिये जनता की दुश्वारियों का समाधान देर –सवेर निकलेगा।अक्षर पटेल की हैट्रिक से
पटेल आरक्षण की हार्दिकता फलीभूत होगी।उम्मीद है कि इसी फटाफट क्रिकेट से जाट आरक्षण
का कोई सर्वमान्य हल मिल जाएगा।
भयानक सूखे से
ग्रस्त और जल संकट से घिरे स्थानों की ओर पनिहारिन रेलगाड़ियाँ जा रही हैं।जो काम
मेघों का था वे काम ट्रेन कर रही हैं।लेकिन रेलगाड़ियों के बलबूते यह काम मुकम्मल
नहीं होने वाला।इस काम में हवाई जहाजों को भी लगाना चाहिए। तभी तो जनता को पता
लगेगा कि रेलगाड़ी वाले पानी और वायुमार्ग से आये वाटर में कितना फर्क होता है।पानी
सिर्फ दो भाग हाइड्रोजन और एक भाग आक्सीजन से मिल कर नहीं बनता है।जल का पृथक मुक्त बाज़ार और उन्मुक्त राजनय भी होता है।
गर्मी केवल वही नहीं
होती जिसका तापक्रम स्मार्टफोन के बैरोमीटर में दिखाई देता है।गर्मी की तपिश की
अपनी राजनीति होती है।इसे जानने ,परखने और अनुभव करने के नाना प्रकार के उपकरण और मानदण्ड
होते हैं।
गर्मी के मौसम में
सदा गर्मी ही होती रही है,यह सपाट बयानी अब किसी को स्वीकार्य नहीं।
निर्मल गुप्त,208,छीपी टैंक ,मेरठ-250001 मोब.08171522922
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