जीरो ऑवर में अटकी दिल्ली


दिल्ली में आजकल जीरो ऑवर चल रहा है। वोटिंग हो चुकी है। नतीजे लगभग आ गए हैं लेकिन ऑफिशियली प्रकट नहीं हुए हैं। सरकारी काम तुरत -फुरत होते भी नहीं। वे जब होते हैं पूरे विधि विधान के साथ होते हैं। बड़ी नज़ाकत के साथ हौले हौले। जैसे दुल्हन विवाह मंडप की ओर दुल्हे के गले में वरमाला डालने चले ,बिल्ली की तरह दबे पाँव। नेपथ्य में गीत बजे –बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है।
वेलेंटाइन –डे सिर पर आ खड़ा है। मुल्क भर के महबूबा और महबूब टाइप लोग ओवरबिजी होने की फ़िराक में हैं। लेकिन जीरो ऑवर है कि बीत ही नहीं रहा ।वह खिंचता चला जा रहा है ।इंतज़ार खत्म नहीं हो रहा। दुल्हन है। वरमाला है। दुल्हे की संकोचवश सिकुड़ी हुई गर्दन है। उम्मीद है। आशंका है। हवन कुंड है। लकड़ी है। पान का पत्ता है। दूब घास है। सुपारी है। कपूर है ।हवन सामग्री है ।अग्नि के चारों ओर परंपरागत चक्कर लगवाने का फूलप्रूफ इंतजाम है। पंडित जी हैं। मुहुर्त निकल जाने की बैचैनी है। मीडिया है पल पल की कवरेज के लिए चाक चौबंद। उनके स्टेंड पर टंगे कैमरे हैं। बाइट्स के लिए उत्सुक परेशान आत्माएं हैं। ब्रेकिंग न्यूज़ हवा में है। उसे लपकने वाली हथेलियों में लगातार होती खुजली है।
इस जीरो ऑवर में सात तालों के बीच रखी इवीएम एकदम निश्चिंत हैं। वह तटस्थ मुद्रा में हैं। उनकी न काहू से दोस्ती है ,न काहू से बैर ।उनके मन में कोई जल्दबाजी नहीं है। इवीएम को पता है कि उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता क्योंकि वह कांग्रेस पार्टी की तरह खुद किसी रेस में नहीं हैं। वे चीनी दार्शनिक लओत्सू की मानस पुत्री हैं। वे किसी गरीब की जोरू नहीं इसलिए भौजाई भी किसी की नहीं।
जीरो ऑवर में लोगों ने अपशकुन के भय से छींकना स्थगित किया हुआ है ।उनकी नाक बेहद दवाब में है। नाक की साख दांव पर लगी है। वह छींकने के लिए उपयुक्त मौके और मुहँ पर रखने के लिए सही आकार के रुमाल की तलाश में हैं। उन्हें तो बस इवीएम के जिन्न के अधिकारिक तौर पर बाहर आने की प्रतीक्षा है। जिन्न दिखे तो वे उससे बेगार करवाने की शुरआत करें। मुफ्त का बिजली ,पानी ,झुग्गी ,कपड़े, लत्ते , कानून -व्यवस्था ,सुशासन आदि लाकर देने का आडर थमाएं ।
जीरो ऑवर में अटकी दिल्ली एक अदद चुनी हुई सरकार के लिए दम साधे शीर्षासन कर रही है।
@हिंदुस्तान के नश्तर स्तंभ में १० फरवरी १५ को प्रकाशित 

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट