दुर्लभ कलाकृतियां और तसल्ली


अमरीका ने हमारी दुर्लभ कलाकृतियां हमें लौटा दी।दो हजार साल पुराने इस सामान ने हमें अनायास बहुत भावुक कर दिया है।वर्तमान चाहे जैसा हो पर अतीत के गौरव के लेकर हमारी संवेदनशीलता बेमिसाल है। इससे उम्मीद बंधी है कि वह एक न एक दिन हमें ‘वे गुमशुदा दिन’ भी वापस दिलवा देगा, जब परों वाले तोते मैना या गौरेया नहीं,सोने की चिड़िया मुल्क की डाल डाल पर बसेरा करती थीं।जब शेर और मेमने एक ही प्याऊ पर ओक से पानी पीते थे।जब एक ही चूल्हे और हांडी में वेज और नॉनवेज व्यंजन पकते थे।जब पान की दुकानों पर यह नहीं लिखा होता था कि उधार प्यार की कैंची है।जब कैंची सिर्फ गबरू जवानों की मूंछे और लोगों के जेबें तराशने के काम आती थी।जब महिलाओं के गले से उचक्के सोने की चेन नहीं, दिल का चैन लूटने जैसी रोमांटिक वारदात को अंजाम देते थे।जब लोग  तपाक से गले मिलने से पहले एक दूसरे की आस्तीनों की तलाशी नहीं लेते थे।जब मसखरे हंसने हंसाने के लिए अपने मुंह बिचकाने के आलावा भी बहुत –सी अन्य तरह की तरकीब जानते थे। जब दुल्हन, बारात की चढ़त के समय नागिन डांस न होने की स्थिति में, दूल्हे के गले में वरमाला डालने से साफ़ इंकार करने का वैधानिक अधिकार रखती थी।
अमरीका सर्वगुणसंपन्न मुल्क है।उसका बाहुबल असीम है।वह मुल्क के तमाम मवालियों ,दादाओं और भाईलोगों के कुल जमा सामूहिक बल से भी अधिक बलशाली है।उसके हाथ वाकई बहुत लम्बे है।उसके कंधे पर अदृश्य पंख  हैं।ड्रोन की शक्ल में वह किसी भी जगह उड़ता हुआ दिख जाता हैं।कभी कभी नहीं भी दिखता पर अचूक निशाना फिर भी लगा लेता है।सुना है कि अब उसके पास वाचिक परम्परा का एक अग्निवर्षक लीडर भी है, जो अपने भाषणों और उद्घोषणाओं से इतनी आंच पैदा करता है कि वैश्विक परिदृश्य पर चल रहे तमाम शालीन और शीतल विमर्श भाप बन कर उड़ जाने वाले हैं।कहने वाले तो यहाँ तक कह रहे हैं कि वह आने वाले समय में इतनी आग्नेय ऊर्जा पैदा करेगा कि दस बीस विकासशील मुल्कों के पॉवर रिएक्टर उसी से चल जाया करेंगे।वह अपनी उलटबांसियों से आतंकवाद का समूल नाश कर देगा।   
अमरीका ने हमारी कलाकृतियाँ वापस दी हैं तो यकीनन कुछ सोच समझ कर ही दी होंगी।इतने बड़े मुल्क बेवजह कुछ नहीं करते। हो सकता है कि इस ‘फॉरेन-पलट’ चीजों  के जरिये वह हमारे एफडीआई में इजाफ़ा करवाने वाला हो  या ग्रोथ रेट को बढ़वा कर कोई जादुई आंकड़ा पैदा करवाना चाहता हो या सेंसेक्स में अभूतपूर्व बढ़त दर्ज कराके सबको हार्षित करना चाहता हो।कौन जाने? बड़े लोगों की बड़ी बातें!
वैसे अमरीका को यदि आशीर्वाद या उपहार स्वरुप कुछ देना ही है तो वह हमें हमारी विरासत के प्रतीक चिन्हों के बजाए नयनाभिराम टाइप की कुछ डिब्बाबंद तसल्लियाँ, हाईटेक सेल्फी स्टिक और तारीफ़ के चंद रसपगे कथोपकथन ही दे दे।हम तो इनक जरिये भी अपना आज और कल दर्शनीय बना लेंगे।

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