एकदम मौलिक शोक सन्देश
वह शोकाकुल थे l भूकम्प से हुई जान और माल की हानि का जायजा लेने
के लिए वहाँ पहुंचे थे l उन्होंने वहां घूम घूम कर बरबादी को नजदीक से
देखा l प्राकृतिक आपदा के खिलाफ उन्हें कुछ लिखना था l शोक पुस्तिका में लिखने के लिए उन्होंने अपनी
अक्ल पर जोर दिया l बात बनती हुई दिखाई नहीं दी तो उन्होंने और जोर
लगाया l खूब जोर लगाने से अकसर बड़े- बड़े काम निबट जाते हैं l पर इस जोर लगाने का असर यह हुआ कि शोक सन्देश
वाली इबारत तो नदारद रही अलबत्ता कहीं दूर से भैंस के रम्भाने की आवाज़ आती जरूर
सुनाई पड़ी l वह तुरंत समझ गए कि भैंस अपने को अक्ल
के मामले अधिक स्ट्रीट स्मार्ट समझ रही है
l
वह समझ में नहीं पा
रहे थे कि शोक की इस घड़ी में क्या लिखें l उन्होंने अपने मोबाइल में ‘क्लू’ मिलने की आस में
झाँका तो उन्हें स्क्रीन पर योयो हनीसिंह
मटक मटक बड़ी द्रुत गति से गा रहे थे l वह गा रहे थे ,यह तो
ठीक ,पर क्या गा रहे थे यह समझ नहीं आया l
-ओय ,हनी सिंह ठीक
से गा l तेरी बात समझ में आये तो कुछ लिखूं l उन्होंने कहा l
पर बात बनी नहीं l योयो यूँही गाता रहा l उनकी समझ में आया कि ये योयो इसीलिए पॉपुलर है क्योंकि इसकी बात किसी को समझ में नहीं आती l उन्होंने तुरंत यह बात गांठ बांधी कि जो करो ऐसा
करो जो सबकी समझ से परे हो l
उन्होंने तय किया कि
वह अपनी देशव्यापी ख्याति के लिए जरा हट कर सोचेंगे और काम करेंगे l वह शोक पुस्तिका के पास से हटने लगे तो उनको किसी
ने याद दिलाया –सर इस ‘कितबवा’ में कुछ लिखिए न l
यह सुनते ही वह
विचार निमग्न हो गए l सबसे पहले उन्होंने शोक के बारे सोचा तो उन्हें
बस इतना याद आया कि इसका मतलब साॅरो होता है l यह भी पता लगा कि ऐसे मौके पर हाथ बांध कर और मुहँ
लटका कर खड़ा रहना पड़ता है l
पर लिखना क्या होता है ,इसकी कोई भनक उन्हें नहीं
लगी l
वह झक्क मार कर फिर
अपने मोबाइल की शरण में गए l वहां उन्हें गूगल
सर्च के जरिये विभिन्न विषयों पर लिखे निबन्ध मिले l उन्होंने
उन निबन्धों में से मनचाहे वाक्य लिए उन्हें अपने सम्यक ज्ञान से मोडिफाई किया
ताकि शोक सन्देश की मौलिकता बनी रहे l और कोई उसे पढ़ने के बाद यह न कह पाए कि इसे अमुक
टेक्स्ट से टीपा गया है l
उन्होंने अपनी आँख मोबाइल के स्क्रीन पर गड़ा दी
और अपनी समस्त मेधा उपयुक्त वाक्यों के संशोधन ,संवर्धन और परिमार्जन में लगा दी l
वह मग्न होकर वाक्य
दर वाक्य मोबाइल में से चुन चुन कर लिखते रहे और अपने लिखे पर रीझते रहे l उन्होंने कुछ इस तरह लिखा l नेपाल एक महान देश है l यहाँ की जनता महान है और सरकार महान है l पहले यहाँ एक राजा था ,वह भी महान था l जब उसकी महानता में कुछ कमी आई तो जनता ने उसे
हटा दिया l नेपाल में अनेक पर्व मनाये जाते हैं l हर उत्सव पूरे उत्साह से मनाया जाता है l यहाँ कभी कभी अर्थक्वेक टाइप की की बातें होती
रहती हैं l यहाँ के बहादुर इसका मुकाबला बड़ी बहादुरी से करते
हैं l इस बार अर्थ क्वेक दिन में आया इसलिए अधिक बरबादी
हुई l रात में आता तो ये बहादुर जागते -जागते रहो कह कर
सबको जगा देते और अर्थक्वेक किसी का कुछ न बिगाड़ पाता l ईश्वर से प्रार्थना है कि नेपाल को अर्थक्वेक से
बचाए और यदि कभी आये तो सिर्फ रात में आये l
यह शोकसंदेश पढ़ने के
बाद यह तो मानना होगा कि उन्होंने जो लिखा सौ फीसदी मौलिक लिखा l
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