जेल ,बेल ,खेल और डकवर्ड लुईस मैथड


उस दिन वही खबर आई जो आनी थी।सेलिब्रिटीज की निजी जिन्दगी में अनचाहे ट्विस्ट अमूमन नहीं आते।सब कुछ बहुत करीने से होता है।पूरे जोर -शोर से होता है ।तयशुदा कार्यक्रम के तहत होता है ।स्पीड के साथ होता है ।जेल होती है तो हाथों -हाथ बेल हो जाती है ।सब कुछ इतनी जल्दी होता है कि जितनी तेजी से  फुटपाथियों को हिट करके कोई   रेस भी नहीं लगा पाये । इतनी  तुरत -फुरत तो  पिक्चर का टिकट ब्लैक मार्केट में भी  नहीं मिले ।इतनी शीघ्रता से चाटवाला गोलगप्पे  में  सुराख़ कर जलजीरा भी नहीं उड़ेल पाये  । इस फुर्ती से  अनुभवी शोहदा खूबसूरत लडकी को देखने के बाद बायीं आँख का कोना ठीक से नहीं दबा पाये  । इतनी कम अवधि में आम आदमी को अदालत परिसर में  बनी फोटोस्टेट की दुकान का अतापता भी नहीं मिले  ।
सेलिब्रिटीज के लिए सब कुछ आननफानन में हो जाता है । उनकी सुपरमैन की रुपहली छवि के चलते न्याय क्या कोई भी प्रक्रिया एकदम तरल हो जाती है ।चारों ओर से एक ही आवाज आती है –भाई टेंशन नहीं लेने का ।हम लोग हैं न !
सेलिब्रिटी के साथ ज़माना रहता है वह अपने से जुड़े हर मामले को सेलिब्रेशन की गुंजाइश  ढूंढ लेते हैं  ।वह अदालत जाता है तो टीवी चैनलों पर अदालत -अदालत का खेल होने लगता है ।सजा सुनाई जाती है तो जेल -जेल की धुक्क धुक्क  करती रेल लोगों के मानस पटल पर दौड़ने लगती है ।बेल का सवाल उठते ही जिज्ञासुजन कान फड़फड़ाने लगते हैं । जनता दिल थाम कर न्याय की हर चाल को परखने  लगती है ।नेपथ्य में हारर फिल्म का साउंड ट्रेक बज उठता है ।
ऊपरी अदालत में सुनवाई शुरू होती है ।वहां से छन्न छन्न अपडेट झडबेरी के बेर की तरह टीवी स्क्रीन पर टपकने लगते हैं । लोगों का कलेजा मुहं को आने लगता है ।लगता है जैसे जीत के लिए टीम को आखिरी बाल पर पांच रन बनाने हों और बैट्समैन क्रीज पर हो ।अब आएगा मज़ा ,उत्सवधर्मी दर्शक अपने दांतों के नेलकटर से नाखून कुतरते हुए भावातिरेक में चिल्लाते हैं ।
मिल गयी .....मिल गयी ।चैनल का एंकर चिल्लाता है ।इत्ती जल्दी .....पूरा मुल्क सवाल उठाता है ।सब डकवर्ड लुईस की कारस्तानी है ,अंतत: कोई मेधावी क्रिकेट प्रेमी बताता है लगता है कि डकवर्ड लुईस मैथड से बेल भी मिलने लगी है । आईपीएल के ज़माने में कुछ भी हो सकता है

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