मुआवजे का सीजन


मौसम की उलटबांसी ने किसानों के लिए बुरे दिन ला दिए असमय बारिश और ओलों ने खड़ी फसल बरबाद कर दी राजनीतिक लोगों के लिए मुरादों भरे दिन आ गए  गांव गांव मुआवजा बाँटने और बंटवाने का खेल शुरू हो गया तमाम जाँच पड़ताल के बाद जब मुआवजे की रकम चैक की शक्ल में आई तो लुटे पिटे किसानों की समझ में यह नहीं आ रहा  कि इतनी कम धनराशि से वे मरने के लिए कौन सा सामान खरीदें  इतनी कम  धनराशि से  आत्महत्या  के लिए उपयुक्त रस्सी या समुचित मात्रा में जहरभरी  पुड़िया तो मिलने से रही !
मुआवजा बंटने की भनक मिलते ही ब्लॉक से लेकर तहसील कार्यालय तक  बहार छा गई  तजुर्बेकार सरकारी कारिंदों और नेताओं ने आसमान से ओले की पहली खेप के धरती पर बरसते ही समझ लिया था कि अब उनका   ‘सीजन’ आने वाला है दार्शनिक सच भी यही है कि जब किसी को कुछ गुम होता  है तभी किसी दूसरे को कुछ मिलता है ठसाठस भरी बस में से जब एक सवारी उतरती है तो डंडा थामे जैसे तैसे एक पाँव पर खड़ा पैसिंजर बैठने का मौका पाता है मुआवजा ,पेंशन ,अनुग्रह राशि  जब वितरित होने लगती  है तब सुविधा शुल्क के रूप में रिश्वत से लोगों की मुट्ठियाँ गर्माने  लगती हैं
मौसम जब बेईमान होता है तब कुछ लोगों के लिए सुहावना सीजन ठीक उसी तरह  आता है जैसे जब डेंगू इबोला मलेरिया इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है तब चिकित्सा के धंधे से जुड़े लोगों के लिए  मौज आती है इस बार मौसम की वजह से  सीजन आया  है और जब इस तरह का सीजन आता है तब गिद्धों को महाभोज की भनक मिलती है  राजनीति  के भीतर का गिद्ध अपनी तंद्रा से बाहर आता है
आजकल खेतों में किसानों की उम्मीदें बिखरी पड़ी हैं उसके पास जिन्दा रहने से अधिक मरने की वजह है  उनकी इस दुर्दशा में नेताओं को अपने ख्वाब पूरे होते दिख रहे हैं उनके लिए यह शासन  और प्रशासन को गरियाने का बेहतरीन अवसर है  यह समय अपने रीते वोट बैंक को दुबारा भरने लेने  का है यह गाल बजाने और मगरमच्छी   आंसू बहाने का सही वक्त है  कहीं खुशी कहीं गम जैसा अदभुत परिदृश्य उपस्थित है
मुआवजे के सीजन में भुक्तभोगी किसान के अलावा सबकी पौबारह है मुआवजा बाँटने वाले लोग रात दिन अपने काम में लगे हैं मायूस किसान उनकी चिरौरी करता हुआ आगे पीछे घूम रहे हैं चैक पर चैक बन रहे हैं बना बना कर रखे जा रहे हैं बन चुके चैक किसानों को दिखाए जा रहे हैं लेकिन दिए नहीं जा रहे अधिकारी जी इन पर साइन करने से पहले इन्हें अपनी हथेली पर रख कर तौल  रहे हैं कारिंदे अधिकारी के सामने खड़े खीसें निपोर रहे हैं साहब का चपरासी अब तक कई बार चक्कर लगा कर कह गया है कि हमारा भी ख्याल रखना सब एक दूसरे को  ख्याल रखने का आश्वासन दिए हैं किसान के अतिरिक्त सबका सीजन मनमाफिक चलता हुआ लग रहा है
मौसम जब बेढब चाल चलता है तो सीजन आता है सीजन की कोई तय मियाद  नहीं होती  वह अचानक आता है और आननफानन में चला भी जाता है चतुर सुजान ऐसे ही सीजन में अपने सपने साकार कर लेते हैं मुआवजा पाकर किसान अपने को पहले से अधिक टूटा हुआ पाता है


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