सोशल मीडिया और अंगूठा छाप लाइक्स का वैभव


यह सोशल मीडिया का  जमाना हैlबधाई से लेकर गालियाँ तक बड़ी आसानी से यहाँ से वहां चली आती हैं,इतनी मात्रा में आती हैं कि लगता है कि इस दुनिया में बधाई  और अपशब्द के सिवा कुछ बचा ही नहीं हैसोशल मीडिया पर किसी के निधन की सूचना आती है तो देखते ही देखते हजारों अंगूठा छाप लाइक्सआ जाते हैंl झुमरीतलैया से खबर मिलती है कि वहां  कोई मैना सरेआम गलियां बकती  है तो पूरा मुल्क  उसकी इस हरकत पर दो खेमों  में बंट कर गहन विमर्श में तल्लीन हो जाता है मैना के इस साहस , दुस्साहस और नादानी पर लोग अपने -अपने तरीके से गम ,गुस्से और तारीफ का इज़हार करते हैं,लेकिन उनमें भी बधाई और गाली किसी न किसी रूप में रहती जरूर हैंlअभिव्यक्ति की इस आनलाइन आज़ादी ने सबको निहायत वाचाल  बना दिया हैlइस डिजिटल स्वछंदता ने तो  बाहुबलियों तक के  नाक में दम कर रखा हैसिर्फ इतना ही नहीं,सोशल मीडिया पर नेशनल लेवल के दबंगों तक की मोहल्ला स्तर  के फूंकची पहलवान तक बड़े मजे से टिल्ली -लिल्ली कर लेते हैंl

आभासी आज़ादी  ने अपने शैशव काल  में गुल खिलाने शुरू कर दिए हैं अधिकांश चिंतक इसके गले में बिल्ली के गले वाली मिथकीय घंटी लटकाने की फ़िराक में हैं हमारे विचारकों को तय मिकदार से अधिक आजादी हज़म ही कहाँ  होती है!
अब यदि इस ऑनलाइन हिमाकत से निबटना है तो खुद को ऑनलाइन करने का हुनर सीखना होगाइस मामले में  डंडे और हथकंडे जैसे किसी दिखावटी खौफ काम नही चलने वाला ऑनलाइन रणबांकुरों का सामना करने  के लिए उनसे ऑनलाइन ही भिड़ना होगा lयदि किसी से मिलना ,बतियाना,प्रणय निवेदन करना या झगड़ना है  तो कृपया व्हाह्ट्स एप ,फेसबुक,मैसेंजर  या ट्विटर पर तशरीफ़ लायें किसी से पुरानी अदावत का हिसाब किताब चुकता  करना हो तो पहले फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर दोस्त बनें  और फिर कमेन्ट में तेजाबी बयान लिख कर ‘अनफ्रेंड’ होंअमित्र बनने के लिए पहले मित्रता की पेशकश करनी  ही होगीसोशल मीडिया पर लड़ने -झगड़ने का  अलग विधान  होता है l
अलबत्ता सोशल मीडिया के  ग्लोब में मुहं छुपाने लायक स्पेस नहीं ढूंढें नहीं मिलती,यहाँ सब कुछ सेल्फी वाली आत्ममुग्धता के साथ प्रकट  होता है l

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