छोटे जी क्यों पकड़े गये?


छोटेजी धरे गये।बाली में पकड़े गये।उनकी उम्र इतनी बाली भी न थी फिर भी। बरेली में पकड़े जाते तो कुछ और बात होती। वहां गिरे मिथकीय झुमके को खोजता हुआ कोई भी अपनी सुधबुध खोकर गिरफ़्त में आ सकता है। बड़ेजी यह ढूँढ-ढकोल  जैसा फिजूल का काम नहीं करते।उनके पास इस तरह का काम करने के लिए तमाम तरह के कारिंदे हैं। यही वजह है कि वह मस्त रहते हैं-एकदम रिलेक्स।वह दोस्तों के साथ घर की बैठक में बैठकर मज़े से ‘पपलू’ खेलते है।वह लगातार जीतते जाते हैं।दोस्त लोग बड़ेजी के ताश कौशल पर हैरान हैं।अपनी जीत पर उनके ठहाके गली के बाहर नुक्कड़ तक साफ़ सुनाई देते हैं।बड़ेजी की बेगम पान के जोड़े के साथ धीरे हंसने की सलाह भिजवा चुकी हैं। मुलाज़िम कान में बता आया है कि छोटा पकड़ा जा चुका है। जो पपलू नहीं खेलेगा वह पकड़ा ही जाएगा ,कह कर वह इतनी जोर से हंसे कि दोस्त बिना वज़ह जाने उनकी हंसी-ख़ुशी में शामिल हो लिये।
सारा ‘अंडरवर्ड’ ताज्जुब में है कि छोटा ‘घरघुसरा’ था फिर भी पकड़ा गया।बड़ेजी बिंदास रहते  हैं। खाते पीते  मौज़ करते हैं।दरियादिल इतने कि गुप्तचर भाइयों के प्रमोशन की  खातिर जहाँ -तहां जाकर फोटो भी खिंचवा आते  है।राशनकार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस बनवा कर उसकी फोटोस्टेट कॉपी उन्हें मुहेया करा देते हैं।बेगम को कह रखा है कि अपना कोई हिन्दुस्तानी भाईबंद जासूस या गोपीचंद आये तो उस बिना शर्बत पिलाये न जाने देना।बेगम मुंह सिकोड़ती तो कहते  कि बेफिक्र रहो।वे भी बाल बच्चे वाले हैं।वे अपना काम करने में  लगे हैं ,जैसे हम।आप उनकी आवभगत करती रहें।
छोटा हमेशा छुप कर रहा।किसी को अपने होने की भनक तक न लगने दी।घर और भेष बदलता रहा।बंद कमरे की सिर्फ दीवारों पर ही नहीं दरवाजे पर लगी सिटकनी से लेकर बिस्तर पर बिछी चादर तक पर शक करता रहा।न कभी खुल कर हँसा, न कभी ढंग से बोला।हरदम तीनसौ साठ डिग्री पर गर्दन घुमाता रहा।इसके लिए उसने गुपचुप गर्दन की सर्जरी तक कराई ताकि वह सरलता से चारों ओर घूम सके।
छोटा चौकस था।उसके पास रिवाल्विंग गर्दन थी।गोपनीय तंत्र था।फूंक-फूंक कर ‘चिल्ड’ दूध को पीने का मंत्र जानता था।तमाम तीन तिकड़म का पता था।दबे पाँव चलने में कुशल था, फिर भी वो पकड़ा गया।यदि कोई यक्ष होता  तो वह यह सवाल जरूर उठाता कि छोटा ही कयों पकड़ में आया?इसका सीधा सादा जवाब यह है कि बड़ा बड़ा होता है और छोटा छोटा ही होता है। लेकिन यक्ष जैसे लोग ऐसे जवाबों से संतुष्ट नहीं हुआ करते।
मैं धर्मराज नहीं एकदम दुनियादार हूँ।लेकिन मुझे इस प्रश्न का सटीक उत्तर पता है। पकड़ा वो जाता है ,जिसके पास जनसंपर्क (पीआर) का चातुर्य नहीं होता।यह बात सब जानते हैं कि जो पकड़ा जाए वो नौसिखिया चोर और जो धरपकड़ से बच निकले वह डाॅन ,जिसे तमाम मुल्कों की पुलिस ढूंढती नहीं ,छुप्प्म-छुपाई का खेल खेलती है।





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