हैंगर पर टंगा एंगर


असहमति दर्शाने के लिए आग़बबूला होने का चलन बढ़ता जा रहा हैl जिसे देखो वही किसी न किसी बात पर मुहँ फुलाए घूम रहा हैl अनेक  मुहँ गैस के गुब्बारे बनकर आसमान छूने को आतुर हैं l कुछ लोग तो मुहँ अँधेरे ही किसी न किसी बात पर सरकार पर गुस्साते  हुए उसकी घेराबंदी करते हुए मिल जाते हैंl यदि ठंड अधिक हुई  तो मार्निंग वॉकर क्रोधित हो जाते हैं l ब्रेड फफूंद लगी मिल गई तो ब्रेकफास्ट करने पर उतारू लोग कुपितl बच्चे की स्कूल बस देर से आई तो पेरेंट आपे से बाहरl नहाते समय गीजर से गर्म पानी आना बंद हो गया तो स्नानधर्मी नाराज़l किसी वजह से मुर्गा सुबह तय समय पर बांग देना और मुर्गी अंडा देने से चूक गई तो देर तक सोते रह जाने वाले  और आमलेटप्रेमी दोनों दुखीl और तो और आलू की कीमत घट गई तो लाल टमाटर ,अदरक और हरा धनिया  भाव खाने लगता है lमटर महंगी हुई तो मटर पनीर की रेसिपी को मूर्तरूप देने वाला खानसामा रूठ जाता है l
अब देखिए न ,उन्होंने  जरा कीमती परिधान क्या  धारण किए सादगी पसन्द लोगों की पूरी जमात अपनी- अपनी कमीजों में गांठ बांध कर एग्री यंगमैन में कन्वर्ट हो गईl विदेशी मेहमान ने उत्साह में भर कर जय हिंद की जगह जय हैंड कह दिया तो लोग नाराज होकर उसकी नीयत को आड़े हाथ लेने में जुट गएl मुल्क की नाक पर गुस्सा छींक बन कर अटका  हुआ  है lलेशमात्र के सर्द -गर्म से वह नज़ले के रूप में टपकने लगता  हैl
आजकल कुढ़न के सार्वजनिक प्रदर्शन  का देशव्यापी मौसम चल रहा है lमन की बात को मन में न रख कर उसके  कनकौए उड़ाने की  रुत है lदिल के डस्टबिन को समय - असमय  सतह पर जल्द से जल्द बिखेरते जाने  की  होड़ मची  हैl यह साफ़ सफाई का समय नहीं है वरन गंदगी को नयनाभिराम बनाने का वक्त हैl  सोशल मीडिया पर संतों ,असंतों और भक्तों के बीच गाली -गलौच का फ्रेंडली मैच चुटकुलों के जरिये पूरी हुड़दंग भावना से खेला जा रहा हैl आरोप प्रत्यारोप की  तर्जनियों  के जरिये विक्ट्री साइन   बनाये जा रहे हैंl दिल्ली में मतदान के परिणाम से पूर्व ही लोग हाशिए से उठकर मुख्य पटल पर आ रहे हैं और कुछ जो किसी दल की मुखमंडल की आभा बने हुए थे गुमनामी के  अँधेरे कोनों की ओर धकियाये जा रहे हैंl  लोग हारते -हारते एक ही पल में विजयी योद्धा की तरह अपने सिर पर मुकुट रख कर इतराने लगते हैं और अगले क्षण अपने लटके हुए मुहँ को हथेली पर टिका देते हैंl
ऐसी मारक स्थिति में आम आदमी के पास कमोबेश एक अदद हैंगर हैl उस हैंगर पर जिस पर कभी विवाह आदि समारोह में पहनने लायक पोषाक टंगी  रहती थी उस पर अब उसका ड्राइक्लीन किया हुआ एंगर  टांगा हुआ  हैl ये  मौके की तलाश में लगे  हैं और समुचित मौका मिलते ही जुबान पर गुस्सा और हाथ में हैंगर को तलवार की तरह लहराते हुए प्रकट हो जाते हैंl
दिल्ली के चुनावों में कोई जीते या हारे लेकिन यह तय है कि हैंगर पर लटका गुस्सा इसमें जरूर अपनी विजय गाथा लिखेगा l हैंगर पर राजनीतिक दलों  के मुकद्दर का छीका लटका हैl यह दिल्ली के अहोभाग्य से टूटेगा या बिल्ली की चालाकी के चलते ,यह किसी को नहीं पताl


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