अमन चैन और और वाशिंग मशीन


पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हुए शांतिपूर्ण धमाके होने की खबर है।यह शांतिमय इसलिए माने जायेंगे क्योंकि मरने वालों की संख्या 15-20 से ज्यादा नहीं है।ये हमला सदाचारी दूतों का  पूरी दुनिया में अमन बहाल करने की दिशा में एक सार्थक कदम है। धरा पर अमन चैन को  शायद इसी तरह आना है।पूरी दुनिया में सेक्युलरिज्म भी इसी तरह अपनी जड़े जमा पायेगा।वैसे भी धमाके बारूद,आरडीएक्स और टाइमर आदि के जरिये होते हैं और टेक्नोलोजी का कोई अलग से धर्म या धर्मग्रंथ नहीं होता।धार्मिक भावना का कोई स्थापत्य नहीं होता।
आदमी का जिंदा रहना या फिर मर जाना,यह सब विधि हाथ है।या नियति और प्रारब्ध की वजह से है।शांति के इन शिखर पुरुषों के हाथ अदृश्य होते हैं।इन हाथों की कोई राष्ट्रीयता नहीं होती।इनके मंतव्य बड़े गूढ़ होते हैं।इनको सिर्फ ड्रोन की अत्याधुनिक समझ ही देख पाती है।ये मानवीय समझदारी से परे होते हैं।इनके हाथों में जब तब जो असॉल्ट राइफल या रॉकेट लॉन्चर दिख जाते हैं,वे वास्तव में सद्भावना के श्वेत कपोत होते हैं।कोई उन्हें विध्वंस का सामान न समझे।शांति के इन अग्रदूतों को कोई आतंकी समझने की भूल न करे।
अब तक सारी दुनिया जान गयी है कि अमरीका में डब्लू। टी। ओ की बिल्डिंग उसके करीब से गुज़रे दो हवाई जहाजों से हुई अनुगूंज की वजह से धाराशाही हुई थीं। उन हवाई जहाजों में तो समस्त विश्व का देने के लिए अमन का पैगाम था।उनके पायलटों को क्या पता था कि अमरीका जैसे मुल्क के इंजीनियर ऐसी इमारत बनाते हैं कि जो जरा –सी वाइब्रेशन से भरभरा कर गिर जाती हैं।पेरिस से लेकर कराची और मुंबई से लेकर तक जो हुआ,वह भी सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि मरने वालों ने शांति प्रयासों में अडंगा डालने की कोशिश की।
यह भी सबको मालूम है कि दुनिया में किस कदर अनाचार बढ़ गया है।अब हालात इतने बदतर हो गये हैं कि घड़ी की सुईयों को विपरीत दिशा में घुमाना जरूरी हो गया है।कलयुग में अंधरे से भरी दुनिया में आगे बढ़ने का कोई औचित्य नहीं  है।मध्ययुगीन स्वर्णिम समय में सबको वापस ले जाना होगा।शांति सद्भाव के हितार्थ यह तो करना ही होगा।
शांति दूत अब चप्पे चप्पे पर फ़ैल कर अपना काम कर रहे हैं।वे इतने कमज़र्फ नहीं कि अन्याय और अपराध से भरी इस काली दुनिया को उसके हाल पर छोड़ दें।इन्होंने धर्म विरोधी जिद्दी धब्बों को छुड़ाने के लिए कारगर साबुन और डिटरजेंट इज़ाद कर लिए हैं।वे इस कायनात को झाड़ पोंछ कर नीट एंड क्लीन कर देंगे।
यह बात एकदम सही है कि इन शांति के कारिंदों का उसी तरह से कोई मज़हब नहीं होता जैसे झूठे बर्तन धोने वाले डिश- वॉशर या कपड़े धोने वाली वाशिंग मशीन का कोई धर्म नहीं होता।ये मशीनें निर्लिप्त भाव और प्रोग्रामिंग के अनुरूप  अपना काम करते हैं।
शांति का विश्वव्यापी प्रसार अबाध गति से हो रहा है।सीरिया से लेकर तुर्की ,अफगानिस्तान, न्यूयार्क, पेरिस ,कराची, मुंबई से लेकर पठानकोट तक चहुँओर हो रहा हैइसे कोई अन्यथा न समझे।


 

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