पूत के पाँवों का विस्तार
दफ्तर से लौट कर श्रीमान
ने घर की चौखट पर कदम रखा तो मैडम जी ने खबर दी : कुछ सुना आपने ? किसी सनसनीखेज़
खबर को सुनने के लिए उनके कान वैसे ही फड़फड़ाये जैसे नांद में मनचाहा चारा देख कर
पशु अपने कान हाथ से झलने वाले पंखे की तरह हिलाते हैं | उन्होंने कहा तो कुछ नहीं बस सहज भाव से अपने चेहरे पर
प्रश्नचिन्ह ठीक वैसे ही टांग दिया जैसे दूधिये गाय या भैंस को दुहते समय मापनी को बाल्टी के किनारे लटका देते हैं |मापनी की
इस लटकन से होता यह है कि दूध की बाल्टी झागों से भरकर ‘फ्रेशमिल्क’ का ‘लुक’ देने
लगती है और माप में प्रति किलोग्राम लगभग सौ - दोसौ ग्राम की घटतोल भी हो जाती है |
मैडम जी ने श्रीमान जी
की फर्जी जिज्ञासा को तुरंत दरकिनार किया
और कहा : तुम्हें कुछ पता भी है कि तुम्हारे बेटे ने आज क्या किया ? यह कहते हुए हुए
उनकी आवाज़ लगभग महानायक जैसी हो गई | धीर - गम्भीर किसी
गहरे कुएं से आती आवाज़ जैसी |श्रीमान जी तुरंत
समझ गए कि आवाज में गहराई का स्तर खतरे के निशान से ऊपर है | मामला सीरियस है |उन्होंने
तुरंत पूछा : हुआ क्या ?
मैडम जी ने बताया कि
तुम्हारे दो वर्षीय नौनिहाल को नाक तक पोंछने की तमीज़ तो आई नहीं और उसने तेवर
दिखाने अभी से शुरू कर दिए |श्रीमान जी चुप रहे
और उन्होंने अपनी आँखें इस अंदाज़ में फड़फड़ाई जैसे अमूमन नादान बच्चे सुनाई जा रही
कहानी में पेंच आ जाने पर झपकाते हैं |मैडम जी ने बात आगे
बढ़ाई : आज इसे मैंने पड़ोसी के लॉन में जाकर शैतानी करने से रोका तो इसने मेरा हाथ
झटक दिया |आखें तरेरी |इतना सुनने के बाद
भी श्रीमान जी चुप्पी साधे रहे |मैडम जी ने खुलासा
किया : और तो और ,अब तो साहबजादे गाली में देना सीख गए हैं | इसने मुझे गाली भी दी |
यह सुनते ही श्रीमान
जी का मुहँ कोल्ड्रिंक की वो बोतल बन गया
जिसमें किसी ने चुटकी भर नमक डाल दिया हो |उन्होंने कहा : तो यह कहो न कि हमारा बेटा एकदम बिलावल हो
गया है | यह कह कर उन्होंने अपनी कहिन पर खुद को दाद देते
हुए “हो हो हो हो” की आवाज़ निकाली |मैडम जी ने डपटा :
स्टेंडअप कामेडियन मत बनो |बी सीरियस |
श्रीमान जी ने
आननफानन में वही गंभीरता ओढ़ ली जिसे वो बॉस के चैम्बर में प्रवेश करते समय ओढ़ते थे
|उन्होंने अत्यंत नाप तोल कर एक एक शब्द को सलीके
से चबाते चुभलाते हुए कहना शुरू किया : देखो मैडम जी , इसे कभी तो गाली वाली देना ,छीन झपट को सीखना ही था |हाँ ,यह काम जरा जल्दी सीख गया है |लगता है हमारे
बेटे में बड़ा होने का उतावलापन है |
मैडम जी ने ताज्जुब
से श्रीमान जी की ओर देखा और कहा : यह मसखरी का नहीं बेहद सीरियस मसला है |
श्रीमान जी ने अपनी
बात जारी रखी : पूत के पाँव पालने में दिख जाते हैं |मुझे तो इसके पदचिन्ह किसी बड़े घर के दामादश्री
बनने के गंतव्य की ओर जाते दिख रहे
हैं |
इतना सुनते ही मैडम
जी की बोलती बंद हो गई और वह चकित होकर कभी श्रीमान जी को तो कभी बालकनी की रेलिंग पर लटक कर कालोनी में पड़े
खाली प्लॉटों पर नजर टिकाये अपने सुपुत्र को निहारने लगीं |
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